पहाड़ी धुन
प्यार के सन्तूर की
ध्यान से सुन
बादल घिरे
तड़पे तो बहुत
रोये क्यों नहीं
हवा महकी
खुला जूड़ा किसी का
चाह बहकी
कड़वा नीम
नब्ज देखे बिना ही
बना हकीम
उनकी हँसी
जैसे जूही नहयी
केतकी फूली
फील्ड–नभ में
मैच खेलते दोनों
मेघ–बिजुरी
कभी बहरा
गूँगा बनेगा कभी
प्यार उनका
-श्याम निर्मम
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