08 May 2011

डॉ0 सावित्री डागा


118‚ नेहरू पार्क
जोधपुर–342001 (राज०)
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सन्देश मेरा
पहुँचा तो होगा ही
वर्षा–बूँदों में।


वर्षा के छींटे
ले आये प्रेम–पत्र
पोस्टमैन से।


मचलती हैं
हठीले बालक–सी
ये इच्छाएँ भी।


बीता ये वर्ष
झरे हर सिंगार
अनदेखे–से।


माँग रहे हैं
काले सूरज से ही
लाल उजाला।


बादल आये
तन भीगा‚ फिर भी
सूखा है मन।


ये नया वर्ष
काँटों में गुलाब–सा
खिलाये हर्ष।

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