08 May 2011

डॉ0 कमल किशोर गोयनका


ए–68‚ अशोक विहार‚ फेज–प्रथम‚
नई दिल्ली–220052
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पिघल बही
घाटी में कल–कल
पर्वत–व्यथा।




कोंपल जन्मी
डरी–डरी सहमी
हिरोशिमा में।




राजभवन
जंगली कबूतर
गुटर गूँ गूँ।





बैठ ही गई
तितली सुकुमार
पंखुड़ी पर।




फुदक कर
उड़ा नीड़ से एक
नया जीवन।




फागुनी नभ
विचरती कोयल
बुनती गीत।




चमक गई
तुम्हारी स्मृतियाँ ही
फुलझड़ी–सी।

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