08 May 2011

उर्मिला कौल


अजन्तास‚ रमना रोड‚
आरा–802301 बिहार
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डूबती नाव
अम्बर सागर में
दूज का चाँद।




पिघल–रहा
लावा दिल अन्दर
आँखें क्रेटर।



सिसकी हवा
उड़ चल रे पंछी
नीड़ पराया।




यादों के मोती
चली पिरोती सुई
हार किसे दूँ।



आसमान ने
डाले तारों के हार
घरों के गले।




चौथ का चाँद
सौत की हंसुली–सा
खुभा दिल में।






गया निगल
एक पे एक गोटी
कैरम बोर्ड।

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