भारती भवन
बेलोगंज
रायबरेली–229001 (उ०प्र०)
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नीम की छाँह
धूप के संग चली
पकड़े बांह।
नेह उलीचे
सागर से अम्बर
धरती सींचे।
गंगा निर्मल
बहती अविरल
पीती गरल।
ढूँढ़ती छाँव
चिलचिलाती धूप
शीतल छाँव।
रवि का स्पर्श
रात कुनमुनायी
भरी अलस।
रश्मि ललाम
सूरज का प्रणाम
धरा के नाम।
नदी कुंवारी
डूब मरी बेचारी
पांव थे भारी।
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